भौतिक विज्ञान मे कुछ महत्वपूर्ण टॉपिक जिस में ध्वनि की चाल, यांत्रिक तरंग, किरणे, ध्वनि तरंग, चाल और उनके माध्यम क्या होते है, और इनके उपयोग और अन्य जानकारियां जो भौतिक विज्ञान की कुछ पुस्तकों के माध्यम से लिया गया हैं उसे आप के साथ सांझा कर रहा हु। तो आइए समझते हैं-
तरंग:-
तरंग को मुख्यता दो भागों में बांटा जा सकता है। यांत्रिक तरंग, आयांत्रिक तरंग।
यांत्रिक तरंगों को मुख्यता दो भागों में बाटा गया है -
अनुदैर्ध्य तरंग (Longitudinal waves)
अनुप्रस्थ तरंग (Transverse waves)
अनुदैर्ध्य तरंग:- जब तरंग गति की दिशा माध्यम के कणों के कंपन करने की दिशा के समांतर या अनुदिश होती है तो ऐसी तरंगों को अनुदैर्ध्य तरंग कहते हैं। ध्वनि अनुदैर्ध्य तरंग का उदाहरण है।
अनुप्रस्थ तरंग:- जब तरंग गति की दिशा माध्यम के कणों के कंपन करने की दिशा के लंबवत होती है तो ऐसी तरंगों को अनुप्रस्थ तरंग कहते हैं।
यांत्रिक या विद्युत चुंबकीय तरंग:- वैसी तरंगे जिसके संचरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है अर्थात् तरंगे निर्वात में भी संचरित हो सकती हैं उन्हें विद्युत चुंबकीय यांत्रिक तरंग कहते हैं सभी विद्युत चुंबकीय तरंग एक ही चाल से चलती हैं जो प्रकाश की चाल के बराबर होती हैं सभी विद्युत चुंबकीय तरंगे फोटो की बनी होती है विद्युत चुंबकीय तरंगों का तरंग दिया परिसर 10^-14 मीटर से लेकर 10^4 तक होता है।
विद्युत चुंबकीय तरंगों के गुण:-
1:- यह उदासीन होती है।
2:- यह अनुप्रस्थ होती हैं।
3:- यह प्रकाश के वेग से गमन करती हैं।
4:- इसके पास ऊर्जा एवं संवेग होती है।
5:- इसकी अवधारणा मैक्सवेल के द्वारा प्रतिपादित किया गया।
प्रमुख विद्युत चुंबकीय तरंगों और उनके खोजकर्ता
गामा किरणें:- इस के खोजकर्ता बेकुरल, इसका उपयोग इसकी वेधन क्षमता अधिक होती है इसका उपयोग नाभिकिय अभिक्रिया तथा कृत्रिम रेडियोधर्मिता में की जाती है।
ए्क्सकिरणे:- इसकी खोज करता रॉनजन तथा इसका उपयोग चिकित्सा एवं औद्योगिक क्षेत्र में किया जाता है।
पराबैगनी किरण:- इस के खोजकर्ता रिटर तथा इसका उपयोग सिकाई करने, प्रकाश विद्युत प्रभाव को उत्पन्न करने, बैक्टीरिया को नष्ट करने, में किया जाता है।
दृश्य विकरण:- इसकी खोज न्यूटन ने की, इससे हमें वस्तुएं दिखलाई पड़ती हैं।
अवरक्त विकिरण :- खोजकर्ता हरशैल है एवं इसका उपयोग यह किरण उष्मीय विकिरण है। यह जिस वस्तु पर पड़ती है, उसका ताप बढ़ जाता है इसका उपयोग कुहरे में फोटोग्राफी करने रोगियों की सिकाई करने में किया जाता है।
लघु रेडियो तरंगे:- इसके खोजकर्ता हेनरिक हटरज, उपयोग रेडियो टेलीविजन एवं टेलीफोन में किया जाता है।
दीध रेडियो तरंगे:- खोजकर्ता मारकोनी एवं इसका उपयोग रेडियो एवं टेलीविजन में किया जाता है।
तरंग गति (wave-motion):- किसी कारक द्वारा उत्पन्न विक्षोभ के आगे बढ़ने की प्रक्रिया को तरंग गति कहते हैं कंपन की कला आवर्त गति में कंपन करते हुए किसी कारण, किसी क्षण पर स्थिति तथा गति की दिशा को जिस राशि द्वारा निरूपित किया जाता है उसे उस क्षण पर कंपन की कला कहते हैं निम्न तरंगे विद्युत चुंबकीय नहीं है कैथोड किरणें कैनाल किरणें अल्फा और विटा किरणे ध्वनि तरंगे पराश्रव्य तरंगें।
तरंगदैर्ध्य (wave-Length):- तरंग गति में सामान कला में कंपन करने वाले दो क्रमागत कणों के बीच की दूरी को तरंग दैर्ध्य कहते हैं इसे ग्रीक अक्षर ले लेम्डा से व्यक्त किया जाता है अनुप्रस्थ तरंगों में दो पास पास के श्रंगो अथवा गर्ततो के बीच की दूरी तथा अनुदैर्ध्य तरंगों में क्रमागत दो संपीडनो के बीच की दूरी तरंगधैर्य कहलाती है। सभी प्रकार की तरंगों में तरंग की चाल तरंगधैर्य एवं आकृति के बीच निम्न संबंध होता है ।
तरंग चाल= आवृत्ति × तरंगदैर्ध्य
आयाम Amplitude :- दोलन करने वाली वस्तु अपनी साम्या स्थिति की किसी भी और जितनी अधिक से अधिक दूरी तक जाती है उसे उस दूरी को दोलन का आयाम कहते हैं।
ध्वनि तरंग
ध्वनि तरंगे आवृत्ति परिसर :-
आश्रव्य तरंगे-infrasonic waves 20Hz से नीचे की आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगों को आश्रव्य तरंगे कहते हैं इसे हमारा कान सुन नहीं सकता इस प्रकार की तरंगे को बहुत बड़े आकार के स्त्रोतों से उत्पन्न किया जा सकता है।
श्रव्य तरंगे: Audible waves- 20Hz से 20000Hz के बीच की आवृत्ति वाली तरंगों को श्रव्य तरंगे कहते हैं इन तरंगों को हमारा कान सुन सकता है।
पराश्रव्य तरंगें:- Ultrasonic wave 20000Hz से ऊपर की तरंगों को पराश्रव्य तरंगें कहा जाता है मानव के कान इसे नहीं सुन सकता परंतु कुछ जानवर जैसे कुत्ता बिल्ली चमगादड़ आदि इसे सुन सकते हैं इन तरंगों को गाल्टन की सिटी के द्वारा तथा दाब विद्युत प्रभाव की विधि द्वारा क्वार्टज के क्रिस्टल के कंपनो से उत्पन्न करते हैं। इन तरंगों की आकृति बहुत ऊंची होने के कारण इसमें बहुत अधिक ऊर्जा होती है और साथ ही इनका तरंग भेज दिया छोटी होने के कारण अनेक पतले किरण पुंज के रूप में बहुत दूर तक भेजा जा सकता है।
पराश्रव्य तरंगों के उपयोग
संकेत भेजने में, समुद्र की गहराई पता लगाने में, कीमती कपड़ों, वायुयान तथा घड़ियों के पुर्जे को साफ करने में, कारखानों की चिमनी से कालीख हटाने में, दूध के अंदर हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने में, गठिया रोग के उपचार एवं मस्तिष्क टियुमर का पता लगाने में।
ध्वनि की चाल: Speed of sound:-
विभिन्न माध्यम में ध्वनि की चाल भिन्न-भिन्न होती हैं किसी माध्यम में ध्वनि की चाल मुख्यता माध्यम प्रत्यास्थता तथा घनत्व पर निर्भर करती है।
ध्वनि की चाल सबसे अधिक ठोस में उसके बाद द्रव्य में और उसके बाद गैस में होती है ।
वायु में ध्वनि की चाल 332 मीटर प्रति सेकंड, जल में ध्वनि की चाल 1483 मीटर प्रति सेकंड और लोहे में चाल 5130 मीटर प्रति सेकंड होती है।
जब ध्वनि एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती है तो ध्वनि की चाल एवं तरंगदैर्ध्य बदल जाती है जबकि आवृत्ति नहीं बदलती है।
किसी माध्यम में ध्वनि की चाल आवृत्ति पर निर्भर नहीं करती है।
ध्वनि की चाल पर दाव का प्रभाव :ध्वनि की चाल पर दाव का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है दाब घटाने या बढ़ाने पर ध्वनि की चाल अपरिवर्तित रहती हैं।
ध्वनि की चाल पर ताप का प्रभाव :ताप बढ़ाने पर उसमें ध्वनि की चाल बढ़ जाती है वायु में प्रति एक सेंटीग्रेड ताप बढ़ाने पर ध्वनि की चाल 0.61 मीटर प्रति सेकंड बढ़ जाती है।
ध्वनि पर आद्रता का प्रभाव: आद्रता का प्रभाव नमी युक्त वायु का घनत्व शुष्क वायु के घनत्व से कम होता है अतः शुष्क वायु की अपेक्षा नमी युक्त वायु में ध्वनि की चाल अधिक होती है।
ध्वनि की चाल, किन माध्यमों में कितनी होती हैं
माध्यम ध्वनि की चाल मीटर प्रति सेकंड (0°c) मे-
वायु: 332 हाइड्रोजन: 1269 कार्बन डाइऑक्साइड: 260,भाप (100 डिग्री सेंटीग्रेड): 405,अल्कोहल: 1213,
जल: 1483, समुद्र जल : 1533, पारा: 1450, कांच: 5640, एल्यूमीनियम: 6420, लोहा: 5130
ध्वनि के लक्षण:-
मुख्य रूप से इसके तीन लक्षण होते हैं।
तीव्रता, तारत्व, गुणता।
तीव्रता Intensity:- ध्वनि का वह लक्षण है जिसके कारण ध्वनि धीमी और तेज सुनाई पड़ती है माध्यम किसी बिंदु पर ध्वनि की तीव्रता उस बिंदु पर एकाक का क्षेत्रफल से प्रति सेकंड तल के लंबवत गुजरने वाली ऊर्जा के बराबर होती है ध्वनि की तीव्रता व्यक्त करने का मात्रक बेल है ध्वनि की निरपेक्ष तीव्रता को वाट मीटर -2 में व्यक्त किया जाता है बेल एक बड़ा मात्रक है। व्यवहार में इस से छोटा डेसीबल मात्रक का प्रयोग ज्यादातर किया जाता है जो छोटा मात्रक कहलाता है जो बेल का दसवां भाग ध्वनि की तीव्रता स्त्रोत से दूरी के वर्ग की व्युत्क्रमानुपाती आयाम के अनुक्रमानुपाती आवृत्ति के वर्ग के अनुक्रमानुपाती तथा माध्यम के घनत्व के अनुक्रमानुपाती होती है।
तारत्व pitch:- ध्वनि का लक्षण है जिससे ध्वनि को मोटी (grave ) या पतली (shrill) कहा जाता है और यह आवृत्ति पर निर्भर करता है इसकी आवृत्ति होने पर तारत्व अधिक होता है एवं ध्वनि पतली होती है वही आवृत्ति कम होने पर तारत्व कम होता है एवं ध्वनि मोटी होती है।
गुणता Quality:- ध्वनि का वह लक्षण जिसके कारण हमें सामान प्रबलता तथा समान तारत्व की ध्वनियो में अंतर प्रतीत होता है गुणता कहलाता है ध्वनि की गुणता सनादि स्वरों की संख्या, क्रम तथा अपेक्षिक तीव्रता पर निर्भर करती है।
प्रतिध्वनि Echo:- जब ध्वनि तरंगे दूर स्थित किसी दृढ़ टावर या पहाड़ से टकराकर परावर्तित होती है। तो इसे प्रतिध्वनि कहते हैं प्रतिध्वनि सुनने के लिए स्त्रोत एवं प्रवर्तक परावर्तक सतह के बीच न्यूनतम 17 मीटर दूरी होनी चाहिए।
कान पर ध्वनि का प्रभाव 1 बटा 10 सेकंड तक रहता है।
ध्वनि के अपवर्तन के कारण ध्वनि दिन की अपेक्षा रात में अधिक दूरी तक सुनाई पड़ती है।
अनुनाद Resonance:- जब किसी वस्तु कंपनो की स्वभाविक आवृत्ति किसी चालक बल के कंपनो की आवृत्ति के बराबर होती है तो वह वस्तु बहुत अधिक आयाम से कंपन करने लगती है इस घटना को अनुनाद कहते हैं।
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