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भारत के वीर स्वतंत्रता सेनानी (India's heroic freedom fighter heros)

वो जिस्म भी क्या हैं जिसमे ना हो खून-ए-जूनून,क्या लड़े तूफानो से, जो कस्ती-ए-साहिल मे हैं.

सरफ़रोसी की तमन्ना अब हमारे दिल मे है. 

देखना है जोर कितना वाजू- ए-क़तील मे  है।। 

ऐसे ही देश भक्ति से ओत-प्रोत नारे/वचन सुनकर आज भी देश के प्रति जज्बा और इतना जोश भर जाता हैं।। और शरीर मे नई ऊर्जा और रक्त का  संचार तेजी से हो उठता  हैं। रोंगटे खड़े हो उठते इन पंक्तियो को आज भी सुनकर।। 

हम सभी जानते है की भारत देश को 15Aug 1947 को अंग्रेजो की गुलामी से स्वतंत्रता प्राप्त हुई। पर इस गुलामी और अंग्रेजी हुकूमत को तोड़ने और आजाद भारत की दिशा इतनी आसान नही थी। इस आजादी को प्राप्त करने के लिए ना जाने कितने लोगो ने अपने प्राण न्यौछावर किये, इस गुलामी की जंजीर तोड़ने के लिए कितने क्रांतिकरियो ने अपने प्राण की आहुति दी। इन सभी स्वतंत्रता सैनानीयो के शौर्य,जज्बे और बलिदान से भारत देश को आजादी प्राप्त हुई। 

इनमे से कई नामो को तो बहुत से लोग शायद जानते भी ना हो जिनका भारत की स्वतंत्रता में बहुत बड़ा योगदान रहा है  और उनकी  शूरवीरता  के दम पर आजादी प्राप्त करना आसान हुआ। और जिन्होंने हँसते हुए देश की स्वतंत्रता के लिए वीर गति को प्राप्त किया, आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ नामो को -

खुदीराम बोस

 भारत के महान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के  सबसे युवा क्रांतिकारी खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर अट्ठारह सौ नवासी को बंगाल के मिदनापुर जिले के हबीबपुर गांव में हुआ था इनके पिता जी का नाम त्रिलोकीनाथ बॉस था जो की एक तहसीलदार के पद मे थे एवं उनकी माता का नाम लक्ष्मीप्रिया था अपने बचपन के दौरान ही उन्होंने अपने माता पिता को खो दिया था। माता पिता की मृत्यु के पश्चात उनका लालन पोषण उनकी बड़ी बहन ने की थी। वह बचपन से ही क्रांतिकारियों के जीवन से प्रेरित रहते थे। वह भारत की परतंत्रता को देखकर बहुत दुखी हुआ करते थे उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक मजबूत और कठिन मानसिकता बना कर रखी थी देश भक्ति और देश की आजादी के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया। खुदीराम बोस ने 1906 मे  सोनार बंगला नामक एक क्रांतिकारी पत्रिका को वितरित करने में लगे हुए थे और ब्रिटिश पुलिस को  घायल कर उनके चुंगल से निकलने में  कामयाब रहे और उनके कम उम्र होने के कारण  उन्हें अपराध के लिए बरी कर दिया गया इस घटना के बाद वह चरमपंथी समुह मे शामिल हो गए तथा 1907 में  मैलबैग लुटकर अपने समुह की गतिविधयो मे बहुत मदद की। 1908 में ब्रिटिश अधिकारी के सेशन जज  किंग्जफोड  की गाड़ी पर बम फेंकने के कारण बेणी रेलवेस्टेशन पर गिरफ्तार हुए 11 अगस्त 1908 को उन्हें फांसी दे दी गई। यह बहुत कम उम्र में शहीद होने वाले क्रांतिकारी थे उस समय उनकी उम्र केवल 18 साल 8 महीने 8 दिन ही थी। 

 चंद्रशेखर आजाद

 चंद्रशेखर आजाद  भारतीय  इतिहास के एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। उनकी देशभक्ति और साहस ने अपनी पीढ़ी के कई लोगों को स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित किया। चंद्रशेखर आजाद एक साहसी और निडर स्वतंत्रा सेनानी थे। चंद्रशेखर आजाद सही मायने से भारतीय क्रांतिकारी दल के प्रमुख नेता थे। इनका पूरा नाम चंद्रशेखर तिवारी था इनका जन्म 23 जुलाई 1906 में भाबरा जिला झाबुआ मध्य प्रदेश में हुआ था वर्तमान में इस जिले का नाम अलीराजपुर है इनके पिताजी का नाम सीताराम तिवारी और माता का नाम जगरानी देवी था इसके आलावा वह नौजवान सभा कीर्ति किसान पार्टी हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन इनके संबंधित संगठन थे। केवल 15 वर्ष की आयु मे वह महात्मा गांघी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन मे शामिल हुए थे। और इस प्रकार उन्हें अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ गिरफ्तार किया गया अदालत में पेश किए जाने पर उन्होंने अपना नाम आजाद  और और पिता का नाम  स्वतंत्र  और निवास स्थान जेल बताया था। इसी कारण बस उन्हें आजाद नाम से संबोधित किया गया  था असहयोग आंदोलन में शामिल होने सेेेेेे पहले उन्होंने   संस्कृत विषय में  काशी विद्यापीठ बनारस में अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की 15 वर्ष की आयु में  गिरफ्तार होने के बाद  उन्होंने  भारत की स्वतंत्रता  पर अपना ध्यान  केंद्रित किया और अपने सारे कार्यों को उसी दिशा में निर्देशित किया ब्रिटिश अधिकारियों को निशाना बनाने का फैसला किया क्रांतिकारी विधियों में सक्रिय होने के कारण  बंदी बनाया गया जब मजिस्ट्रेट द्वारा उनका नाम पूछे जाने पर उन्होंने अपना नाम आजाद बताया  तब उन्हें 15 कोडो की सजा सुनाई गई चाबुक के प्रत्येक मार के साथ उन्होंनेे भारत माता की जय कहा तब उन्होंने बचन लिया कि ब्रिटिश हुकूमत उन्हेंं कभी जिंदा पकड़ नहीं पाएगी । डाक गाड़ी डकैती केस के मुख्य अभियुक्त  तथा अंग्रेजी सरकार  ने जिंदा  या मुर्दा पकड़ने के लिए ₹30000 का पुरस्कार की घोषणा की थी। 27 फरवरी 1931 ईस्वी को अल्फ्रेड पार्क इलाहाबाद में यह शहीद हो गए इन्हें पंडित जी के नाम से भी जाना जाता था । 

भगत सिंह

 कोई भी त्याग हमारी मातृभूमि से बड़ा नहीं है ऐसा कहने वाले देशभक्त शहीद-ए-आजम के नाम से भगत सिंह को जाना जाता है। इंकलाब जिंदाबाद,  साम्राज्यवाद का नाश हो जैसे नारों  और वचन भगत सिंह ने दिया। भगत सिंह का जन्म 28  सितंबर 1907 को पंजाब प्रांत के जिला लायलपुर केे बंगा गांव के  हुआ था और अब यह  पाकिस्तान देेेश मेे है। भगत सिंह  के नेतृत्व में पंजाब के क्रांतिकारियों ने तत्कालीन सहायक पुलिस कप्तान सॉन्डस की हत्या तथा 8 अप्रैल 1929 ईस्वी को केंद्रीय विधानसभा में बम फेंकने के सिलसिले में गिरफ्तारी हुई सॉन्डस की हत्या के केस में मौत की सजा हुई तथा 23 मार्च 1931 ईस्वी को 23 वर्ष की अल्प आयु में  शहीद हो गए।  भगत सिंह को फांसी की सजा सुनाने वाला न्यायधीश जीसी हिल्टन था।

सुभाष चंद्र बोस

 सुभाष चंद्र बोस का जन्म  23 जनवरी 1897 ईस्वी को  कटक  उड़ीसा  में हुआ था।  सुभाष चंद्र बोस को सर्वप्रथम नेताजी एडोलफ  हिटलर ने कहा था। सुभाष चंद्र बोस के राजनीतिक गुरु देशबंधु चितरंजन दास थे। महात्मा गांधी को  राष्ट्रपिता की उपाधि सुभाष चंद्र बोस के द्वारा ही दी गई थी। 1 मई 1939 ईस्वी को सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस के भीतर ही एक नए गुट का गठन किया जिसे फॉरवर्ड ब्लॉक कहां गया। बोस ने स्वतंत्र संघर्ष के दौरान फ्री इंडियन लीजन नामक सेना बनाई थी। 1943 ईस्वी में सुभाष चंद्र बोस को आजाद हिंद फौज का सर्वोच्च सेनापति बनाया गया था आजाद हिंद फौज के तीन ब्रिगेड  के नाम सुभाष ब्रिगेड  गांधी ब्रिगेड एवं नेहरू ब्रिगेड एवं महिलाओं के ब्रिगेड का नाम लक्ष्मी बाई रेजिमेंट था। आजाद हिंद फौज का झंडा कांग्रेश के तिरंगे झंडे की भांति था, जिस पर दहाड़ते हुए शेर का चिन्नह था। 8 नवंबर 1943 को जापान ने अंडमान और निकोबार दीप सुभाष चंद्र बोस को सौंप दिए नेताजी ने इनका नाम क्रमश: शहीद दीप और स्वराज्य दीप रखा इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख वचन एवं नारे दिए जिसमें दिल्ली चलो, जय हिंद, तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा आदि थे। 

21 अक्टूबर 1943 को सिंगापुर में आजाद भारत के  अस्थाई सरकार की स्थापना की घोषणा की तथा जापानी सेना की सहायता से अंडमान एवं निकोबार दीप समूह पर अधिकार करते हुए 1944 ईस्वी में भारतीय सीमा के इंफाल क्षेत्र में प्रवेश किया 18 अगस्त 1945 ईस्वी को वायुयान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई परंतु इस दुर्घटना को अभी तक प्रमाणिक नहीं माना गया है। 

विष्णु गणेश पिंगल

  विष्णु गणेश पिंगल 23 मार्च 1915 ईस्वी को विस्फोटक बमों के साथ गिरफ्तार कर लिए गए 17 नवंबर 1915 ईस्वी को इन्हें फांसी दे दी गई। 

ब्रजकिशोर चक्रवती

 ब्रजकिशोर चक्रवती मिदनापुर के जिला मजिस्ट्रेट ब्रिज पर गोली  चलाने के आरोप में 2 सितंबर 1933 ईस्वी को गिरफ्तार कर लिए गए। 26 अक्टूबर 1934 ईस्वी को फांसी पर उन्हें लटका दिया गया। 

सूर्य सेन

 सूर्य सेन 18 अप्रैल 1930 ईस्वी में चटगांव स्थित ब्रिटिश शस्त्रागार पर आक्रमण में भाग लेने के कारण गिरफ्तार हुए। 11 जनवरी 1934 ईस्वी को उन्हें फांसी पर लटका दिया गया। 

लाला लाजपत राय

 लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 मे पंजाब प्रांत में हुआ था इन्हें पंजाब केसरी भी कहा जाता था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के 3 बड़े नेताओ मे लाल- बाल- पाल में से एक थे। साइमन कमीशन वापस जाओ, मेरे सिर पर लाठी का एक प्रहार अंग्रेजी शासन के ताबूत की कील साबित होगा ऐसे नारे और वचन लाला लाजपत राय के द्वारा दिया गया था। जिन्होंने क्रांतिकारियों को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ  क्रांति की लहर दौड़ा दी थी। 

17 नवंबर 1928 ईस्वी के साइमन कमीशन का विरोध करने पर पुलिस के द्वारा पार्श्विक लाठी प्रहार के शिकार हुए। लाठी प्रहार के 1 महीने के बाद उनका देहांत हो गया।  पंजाब नेशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कंपनी की स्थापना भी इन्हीं के द्वारा की गई थी। 

वासुदेव बलवंत फड़के

वासुदेव बलवंत फड़के एक सशस्त्र  सेना बनाकर ब्रिटिश सरकार का विरोध करने के कारण 21 जुलाई 1879 को गिरफ्तार हुए काला पानी की सजा के सिलसिले में अदन में आमरण अनशन करके 17 फरवरी 1883 को प्राण त्याग दिए। 

करतार सिंह सराबा

 करतार सिंह सराबा गदर पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता तथा लाहौर सैनिक षड्यंत्र के नेता की हैसियत से गिरफ्तार किए गए। 16 नवंबर 1915 ईस्वी को फांसी के तख्ते पर झूलते हुए शहीद हो गए। 

राजेंद्र लाहिड़ी 

 राजेंद्र लाहिड़ी दक्षिणेश्वर बम कांड तथा काकोरी  गाड़ी डकैती कांड के सिलसिले में गिरफ्तार हुए। 17 दिसंबर 1927 ईस्वी को गोंडा की जेल में इन्हें फांसी दे दी गई। 

अनंत कान्हारे 

अनंत कान्हारे नासिक के जंक्शन हत्याकांड के प्रमुख अभियुक्त होने के कारण बंदी बनाए गए।  19 अप्रैल 1910 ईस्वी को इन्हें फांसी दे दी गई। 

कुशाल कोवर

कुशाल कोवर 9 अक्टूबर 1942 ईस्वी को ब्रिटिश सैनिक गाड़ी को पटरी से उतारने के संदेह में गिरफ्तार हुए। 16 जून 1943 को उन्हें फांसी दे दी गई । 

दामोदर चापेकर 

दामोदर चापेकर 22 जून 1897 ईस्वी को प्लेग कमिश्नर रैंड और लेफ्टिनेंट एयस्ट की हत्या के सिलसिले में अपने भाइयों के साथ गिरफ्तार हुए।  रैनड एवं एयस्ट की हत्या यूरोपियों की प्रथम राजनीतिक हत्या थी, 18 अप्रैल 1898 ईस्वी को फांसी के तख्ते पर चढ़कर शहीद हो गए इनके भाई बालकृष्ण चापेकर को 12 मई 1899 ईसवी तथा वासुदेव चापेकर को 8 मई 1899 ईसवी को फांसी पर लटका दिया गया।

अवध बिहारी

अवध बिहारी दिल्ली षड्यंत्र केस एवं लाहौर बम कांड के आरोप में फरवरी 1914 ईस्वी में बंदी बनाया गया। 8 मई 1915 ईस्वी को फांसी दे दी गई ।

मास्टर अमीरचंद

मास्टर अमीरचंद दिल्ली षड्यंत्र के प्रमुख क्रांतिकारी अमीरचंद फरवरी 1914 ईस्वी में वायसराय लॉर्ड हार्डिंग की हत्या करने के आरोप में बंदी बनाए गए 8 मई 1915 ईस्वी को चार साथियों के साथ इन्हें फांसी दे दी गई ।

असित भट्टाचार्य

असित भट्टाचार्य 13 मार्च 1933 ईस्वी को हबीबगंज में हुई डाक डकैती तथा हत्या के अन्य मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए 2 जुलाई 1934 ईस्वी को सिलहट जेल में इन्हें फांसी दे दी गई। 

जगन्नाथ शिंदे 

जगन्नाथ शिंदे सोलापुर थाने पर हुए हमले का अभियोग लगाकर इन्हें बंदी बनाया गया।  12 जनवरी 1931 ईस्वी में इन्हें फांसी दे दी गई ।

हरकिशन

हरकिशन 23 दिसंबर 1930  ईसवी को पंजाब के गवर्नर पर गोली चलाने के आरोप में गिरफ्तार हुए।  9 जून 1931 ईस्वी को इन्हें फांसी दे दी गई। 

राजगुरु

 राजगुरु का पूरा नाम शिवराम हरि राजगुरु था आपका जन्म  24 अगस्त  1908 को महाराष्ट्र प्रांत पुणे जिले के खेड़ा नामक गांव में हुआ। 17 दिसंबर 1928 को सॉन्डस की हत्या में भाग लेने के कारण 30 दिसंबर 1929 को पुणे में एक मोटर गैराज में गिरफ्तार हुए 23 मार्च 1931 को केंद्रीय जेल लाहौर में भगत सिंह और सुखदेव के साथ फांसी दे दी गई। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में इनका बहुत बड़ा योगदान रहा। 

मदनलाल धींगरा

 मदनलाल धींगरा 1 जुलाई  1909 ईसवी में कर्नल विलियम कर्जन वाइली की हत्या करने के कारण गिरफ्तार हुए।  16 अगस्त 1909  ईसवी को इन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया। 

सुखदेव

 सुखदेव का पूरा नाम सुखदेव थापर था इनका जन्म 15 मई 1907 में लुधियाना पंजाब में हुआ था। 

सांडस की हत्या के केस मे  15 अप्रैल 1929 ईस्वी गिरफ्तारी हुई सांडस की हत्या के केस में मौत की सजा हुई तथा 23 मार्च 1931 ईस्वी को भगत सिंह के साथ फांसी पर चढ़कर शहीद हो गए। 

बटुकेश्वर दत्त 

 बटुकेश्वर दत्त भगत सिंह के साथ केंद्रीय असेंबली में बम फेंकने के आरोप में गिरफ्तार हुए इन्हें आजीवन कारावास का दंड मिला। 

उधम सिंह

 इनका जन्म 26 December 1899 को हुआ था। उत्तर भारतीय राज्य उत्तराखंड 1 जिले का नाम  इनके नाम पर रखा गया। उधम सिंह 23 March 1940  ईस्वी को सर माइकल ओ डायर को कैकसटन हॉल लंदन में गोली मारने के कारण गिरफ्तार हुए और 31 जुलाई 1940 ईस्वी को फांसी दे दी गई। यह स्वतंत्रता संग्राम के एक महान क्रांतिकारी सेनानी थे। 

अशफाक उल्लाह खान 

अशरफ उल्लाह खान संभवतः पहले भारतीय क्रांतिकारी मुसलमान थे जो देश की स्वतंत्रता के लिए फांसी  के तख्ते पर लटके थे। 19 अगस्त 1925 को काकोरी डाक गाड़ी डकैती केस के अभियोग में बंदी बनाया गया। 18 दिसंबर 1927 ईस्वी को फांसी दे दी गई।यह  स्वतंत्रता संग्राम के एक महान क्रांतिकारी सेनानी थे। 

 राम प्रसाद बिस्मिल

 राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म 11 जून 1897 ईस्वी मे उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में हुआ था। यह क्रांतिकारी होने के साथ-साथ अच्छे कवि साहित्यकार लेखक भी थे। 

 9 अगस्त 1925 ईस्वी को जब रेलगाड़ी से सरकारी खजाना सहारनपुर से लखनऊ की ओर जा रहा था तो इसे ककोड़ी नामक स्टेशन पर लूट लिया गया इसे ही काकोरी कांड कहां गया सरकारी  खजाना लूटने का विचार राम प्रसाद बिस्मिल का था इसमें राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र लाहिड़ी, रोशन सिंह, अशफाक उल्ला खां को दिसंबर 1927  में फांसी दे दी गई एवं सचिंद्र सान्याल को आजीवन कारावास की सजा मिली। राम प्रसाद बिस्मिल यह कहते हुए की मैं राज्य के पतन की इच्छा करता हूं और 19 दिसंबर 1927 को उन्हें गोरखपुर की जेल में फांसी पर चढ़ा दिया गया । सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है यह  यह नारा बिस्मिल जी द्वारा दिया गया था। 

और भी अनगिनत, ऐसे वीर  क्रांतिकारी है जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों को न्योछावर  कर दिया। 


आप सभी देशवासियों को 74वॉ स्वतंत्रता दिवस 15अगस्त 2020 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। । 

आज भी देश के प्रति जोश और जूनुन उतना ही हैं। इस भारतवर्ष का बच्चा-बच्चा आज भी  हमारे दिलों में देश के लिए शाहिद हुए इन किरदारो को, हमारे दिलो मे जिंदा (अमर) रखे हुए हैं।। 


 जय हिंद

 जय भारत 

वंदे मातरम


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